यात्रियों को देखकर ही मुझमें गति आई । यात्रियों को देख कर ही मैं यात्री बना। . यात्रियों ने सिखाया कि अपना वजन कैसे उठाया जाता है । उसने- सिखाया कि अपनी ही दिशा की रेल पकड़नी है। अपनी दिशा के ही रास्ते चुनने है। अपनी दिशा के ही सहयात्री बनाने हैं ।
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यात्रा मुझे सिखाता है. . कि. यात्रा की तैयारी करनी पड़ती है । और कभी कभी अचानक के यात्रा को कैसे पूरा किया जा सकता है । यात्रा सिखाता रहा कैसे साथ भी चलना है – सतर्क भी रहना है – छुटते भी जाना है।

यात्रा का ईश्वर मेरे साथ साथ यात्रा करता है। वह फुसफुसाता है रुक कर क्या करोगे?
ठहरोगे तो देर हो जाएगा।  चलो । चलते रहो। कि
सौभाग्य ना सब दिन सोता है – देखें आगे क्या होता है।
 

दिसंबर 2023

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